यूंही नहीं बनता जीवन में कोई
और एक रात! मध्यरात्रि में एकाएक सारे पक्षी चहचहा उठे। गौवें
वास्तविकता से परिचित करा दी गई है
भगवान ने कहा-“हम नहीं मनुष्य के कर्म बोलेंगे“
ऐ गंगा माँ तुम में खोने का मन करता है…
ॐ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव संभवम्।
प्यार मेरा बना सितारा है --
ग्रुप एडमिन की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है (प्रधानाचार्य इस
जख्म सीनें में दबाकर रखते हैं।
मैं अक्सर तन्हाई में......बेवफा उसे कह देता हूँ
सोचके बत्तिहर बुत्ताएल लोकके व्यवहार अंधा होइछ, ढल-फुँनगी पर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)