अपने मोहब्बत के शरबत में उसने पिलाया मिलाकर जहर।
कवि और केंकड़ा ( घनाक्षरी छंद)
ए चांद आसमां के मेरे चांद को ढूंढ ले आ,
जरूरत पड़ने पर बहाना और बुरे वक्त में ताना,
You need not prove yourself to anybody. Everything you are d
नखरे हज़ार तेरे, अपने सर उठाऊंगा,
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक महीने में शुक्ल पक्ष की
इन्सान पता नही क्यूँ स्वयं को दूसरो के समक्ष सही साबित करने
कुछ बड़ा करने का वक़्त आ गया है...
दिल की हसरत सदा यूं ही गुलज़ार हो जाये ।
मिट्टी की जय बोल रे मनवा मिट्टी की जय बोल।
बनकर हवा का झोंका तेरे शहर में आऊंगा एक दिन,
–स्वार्थी रिश्ते —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार