छन्द सरसी: *जिनका कुशल प्रबन्ध*
खुदा भी बहुत चालबाजियाँ करता।
खुलकर जी लो जिंदगी एक बार मिली है प्यारे..
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
जीवन का सफर नदी का सफर है
मैं कैसे कह दूँ कि खतावर नहीं हो तुम
सच्चे हमराह और हमसफ़र दोनों मिलकर ही ज़िंदगी के पहियों को सह
माईया गोहराऊँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हम भी खामोश होकर तेरा सब्र आजमाएंगे
- तेरी आंखे जैसे झील का दरिया -
कालू भैया पेल रहे हैं, वाट्स एप पर ज्ञान
धोखा मिला है अपनो से, तो तन्हाई से क्या डरना l
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
जब इंसान को किसी चीज की तलब लगती है और वो तलब मस्तिष्क पर हा
** राम बनऽला में एतना तऽ..**
*अभिनंदन डॉक्टर तुम्हें* (कुंडलिया)
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
प्रतिभा! ईश्वर से मिलती है, आभारी रहे। ख्याति! समाज से मिलती
बड़े-बड़े सपने देखते हैं लोग