**नेकी की राह पर तू चल सदा**
बड़ा बेवाक लहज़ा है बड़ी दिलकश अदायें हैं,
अगर तूँ यूँहीं बस डरती रहेगी
ख़यालों में रहते हैं जो साथ मेरे - संदीप ठाकुर
*बुंदेली दोहा-चिनार-पहचान*
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जीवन की आपाधापी में देखता हूॅं ,
रात जागती है रात भर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मधुशाला में लोग मदहोश नजर क्यों आते हैं
कुछ ही देर लगती है, उम्र भर की यादें भुलाने में,
*और ऊपर उठती गयी.......मेरी माँ*
मुश्किलें जरूर हैं, मगर ठहरा नहीं हूँ मैं ।
रुख़ से परदा हटाना मजा आ गया।