2718.*पूर्णिका*
2718.*पूर्णिका*
🌷 मिटाता है यूं अंधेरा दीया🌷
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मिटाता है यूं अंधेरा दीया ।
दिलाता है नवल सबेरा दीया।।
जहाँ जीवन सँवरता फूलों सा।
बनाता मन रैन बसेरा दीया ।।
दया धरम यहाँ नेक करम देखो।
सिखाता रख सुरक्षा घेरा दीया ।।
मिटा जाती है सब अभिमान यहाँ।
बताता तेरा ना मेरा दीया ।।
कहानी भी कहते सुनते खेदू ।
बजाता है बीन सपेरा दीया ।।
……….✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
12-11-23 रविवार(दीपावली )