इश्क था तो शिकवा शिकायत थी,
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
जिस पर हँसी के फूल,कभी बिछ जाते थे
छोड़कर जाने वाले क्या जाने,
सनातन के नाम पर जो स्त्रियों पर अपने कुत्सित विचार रखते हैं
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हशरत नहीं है कि, तुम हमें चाहों।
गीत लिखती हूं मगर शायर नहीं हूं,
Anamika Tiwari 'annpurna '
रंजीत कुमार शुक्ला - हाजीपुर
"" *श्री गीता है एक महाकाव्य* ""
सपने हो जाएंगे साकार
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
समाज को जगाने का काम करते रहो,
युगों की नींद से झकझोर कर जगा दो मुझे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मेरा तेरा जो प्यार है किसको खबर है आज तक।
जख्मो से भी हमारा रिश्ता इस तरह पुराना था
मैंने उनको थोड़ी सी खुशी क्या दी...