*भंडारे की पूड़ियॉं, हलवे का मधु स्वाद (कुंडलिया)*
ग़ज़ल : कौन आया है ये मेरे आशियाने में
निःशब्द के भी अन्तःमुखर शब्द होते हैं।
उसने कहा कि मैं बहुत ऊंचा उड़ने की क़ुव्व्त रखता हूं।।
ज़िंदगी की कँटीली राहों पर
योग ही स्वस्थ जीवन का योग है
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
"साहित्यकार और पत्रकार दोनों समाज का आइना होते है हर परिस्थि
*जिंदगी के हाथो वफ़ा मजबूर हुई*
जीवन मर्म
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
कौन कहता है कि "घुटनों में अक़्ल नहीं होती।"
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
इश्क़ गुलाबों की महक है, कसौटियों की दांव है,
बर्फ की चादरों को गुमां हो गया