आज मैं एक नया गीत लिखता हूँ।
कभी भी दूसरो की बात सुनकर
फूल की प्रेरणा खुशबू और मुस्कुराना हैं।
तेरा इश्क मेरे दिल की दवा है।
हमारे साथ खेलेंगे नहीं हारे वो गर हम से
हर काम की कोई-ना-कोई वज़ह होती है...
यादों के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*पीते-खाते शौक से, सभी समोसा-चाय (कुंडलिया)*