*तन्हाँ तन्हाँ मन भटकता है*
बोलने को मिली ज़ुबां ही नहीं
मैने थोडी देर कर दी,तब तक खुदा ने कायनात बाँट दी।
आप शिक्षकों को जिस तरह से अनुशासन सिखा और प्रचारित कर रहें ह
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Maine Dekha Hai Apne Bachpan Ko...!
वीर शिवा की धरती है ये, इसको नमन करे संसार।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
मैं कोशिशों पर बार -बार लिखता हूँ ! मैं दोस्तों पर ऐतबार लिखता हूँ !
दिल की हसरत निकल जाये जो तू साथ हो मेरे,
ऐसा लगता है कि अब टाइम व स्ट्रेस मैनेजमेंट की तरह "वेट मैनेज
आपके दिमाग में जो लक्ष्य केंद्रित होता है।
एक ऐसी रचना जो इस प्रकार है