माता पिता के बाद जो कराता है आपके कर्त्तव्यपथ का ज्ञान उसे व
वनमाली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
किसी सिरहाने में सिमट जाएगी यादें तेरी,
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
बाहर निकलने से डर रहे हैं लोग
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
प्रेम में कुछ भी असम्भव नहीं। बल्कि सबसे असम्भव तरीक़े से जि
प्रकृति से हमें जो भी मिला है हमनें पूजा है
वे सोचते हैं कि मार कर उनको
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"ऊपर वाले को बेवकूफ समझते हैं लोग ll
भक्ति गीत (तुम ही मेरे पिता हो)
I don't need any more blush when I have you cuz you're the c
प्यार में लेकिन मैं पागल भी नहीं हूं - संदीप ठाकुर
नहीं किसी का भक्त हूँ भाई