2704.*पूर्णिका*
2704.*पूर्णिका*
खुशियों के दीप जले
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खुशियों के दीप जले।
यूं प्यार समीप मिले ।।
दुनिया प्यारी अपनी ।
जीवन का सीप मिले।।
बस इंसानियत यहाँ ।
दिल नेक शरीफ मिले ।।
महके मन बगियां भी ।
हरदम तारीफ मिले ।।
संदेश यहाँ खेदू ।
न कभी तकलीफ मिले।।
……….✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
09-11-23 गुरुवार