एक कवि की कविता ही पूजा, यहाँ अपने देव को पाया
आप देखो जो मुझे सीने लगाओ तभी
पर हर दर्द की दवा कहाँ मिलती है....
जब काँटों में फूल उगा देखा
अधिकतर ये जो शिकायत करने व दुःख सुनाने वाला मन होता है यह श
//सुविचार//
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मेरे हमनवा ,मेरे रहनुमा ,मुझे रोशनी की मशाल दे ,,
*धर्मप्राण श्री किशोरी लाल चॉंदीवाले : शत-शत नमन*
****हर पल मरते रोज़ हैं****