उसकी सूरत में उलझे हैं नैना मेरे।
हमारी शाम में ज़िक्र ए बहार था ही नहीं
जिसको चाहा है उम्र भर हमने..
हां मैं ईश्वर हूँ ( मातृ दिवस )
तुम्हारी चाहतों का दामन जो थामा है,
घर से निकालकर सड़क पर डाल देते हों
उम्दा हो चला है चाँद भी अब
मेंरे प्रभु राम आये हैं, मेंरे श्री राम आये हैं।
आसमाँ मेें तारे, कितने हैं प्यारे
*प्रभु पर विश्वास करो पूरा, वह सारा जगत चलाता है (राधेश्यामी
इश्क़ का क्या हिसाब होता है
आदमी उपेक्षा का नही अपेक्षा का शिकार है।
गुज़र गये वो लम्हे जो तुझे याद किया करते थे।
दुख में दुश्मन सहानुभूति जताने अथवा दोस्त होने का स्वांग भी
माँ आजा ना - आजा ना आंगन मेरी