पिता का पेंसन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
गरीबी हटाओं बनाम गरीबी घटाओं
अगर दुनिया में लाये हो तो कुछ अरमान भी देना।
आधार छंद - बिहारी छंद
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
आँखें खोलूं तो सारा ज़माना नज़र आता है,
त्यागने से जागने की ओर - रविकेश झा
Now we have to introspect how expensive it was to change the
मंत्र: वंदे वंछितालाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढाम् शू
उजड़ें हुए चमन की पहचान हो गये हम ,
तू क्या जाने कितना प्यार करते हैं तुझसे...
“जो पानी छान कर पीते हैं,
हमे निज राह पे नित भोर ही चलना होगा।
Anamika Tiwari 'annpurna '
महबूब से कहीं ज़्यादा शराब ने साथ दिया,
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)