एक पुरुष जब एक महिला को ही सब कुछ समझ लेता है या तो वह बेहद
मां वाणी के वरद पुत्र हो भारत का उत्कर्ष लिखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
पलायन (जर्जर मकानों की व्यथा)
सदविचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हिंदी दोहा- अर्चना
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मैं क्या खाक लिखती हूँ ??
मानव बस मानव रहे ,बनें नहीं हैवान ।।
कर ही बैठे हैं हम खता देखो
आइए चलें भीड़तंत्र से लोकतंत्र की ओर
"बेटी दिवस, 2024 पर विशेष .."
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
बिखरे खुद को, जब भी समेट कर रखा, खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
पुरुष परास्त हुआ है वहां जहां उसने अपने हृदय को पूर्ण समर्पि
किणनै कहूं माने कुण, अंतर मन री वात।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD