2691.*पूर्णिका*
2691.*पूर्णिका*
मंजिल अपनी मिल गई
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मंजिल अपनी मिल गई ।
कलियाँ सारी खिल गई ।।
देखे तरक्की सब यहाँ ।
दुनिया प्यारी खिल गई ।।
हार कभी माना नहीं ।
खुशियाँ न्यारी खिल गई ।।
साथ निभाते यार बन ।
अपनी यारी खिल गई ।।
मस्त मस्त खेदू जिंदगी ।
दुनियादारी खिल गई ।।
……….✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
06-11-23 सोमवार