काव्य की आत्मा और रागात्मकता +रमेशराज
लड़ी अवंती देश की खातिर
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
न जाने कौन रह गया भीगने से शहर में,
जैसे पतझड़ आते ही कोयले पेड़ की डालियों को छोड़कर चली जाती ह
रेत और रेगिस्तान के अर्थ होते हैं।
निगाहे नाज़ अजब कलाम कर गयी ,
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
*हजारों हादसों से रोज, जो हमको बचाता है (हिंदी गजल)*
"Let us harness the power of unity, innovation, and compassi
ख़ुशबू आ रही है मेरे हाथों से
कोई हंस रहा है कोई रो रहा है 【निर्गुण भजन】
सनातन के नाम पर जो स्त्रियों पर अपने कुत्सित विचार रखते हैं