2688.*पूर्णिका*
2688.*पूर्णिका*
बस तुम मुस्कुराते रहो
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बस तुम मुस्कुराते रहो।
गीत यहाँ गाते रहो ।।
दुनिया सुंदर प्यार की ।
तुम रोज सजाते रहो।।
यूं गम में भी हो खुशी।
सच साथ निभाते रहो ।।
दरिया प्यासा अब नहीं ।
खुशियाँ बरसाते रहो ।।
मिलती खेदू मंजिलें।
तुम कदम बढ़ाते रहो ।।
………..✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
06-11-23 सोमवार