*** सागर की लहरें....! ***
23/51.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
फूल मुरझाए के बाद दोबारा नई खिलय,
किया पोषित जिन्होंने, प्रेम का वरदान देकर,
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
इश्क़ भी इक नया आशियाना ढूंढती है,
میں ہوں تخلیق اپنے ہی رب کی ۔۔۔۔۔۔۔۔۔
प्यार का यह सिलसिला चलता रहे।
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
ख्याल तुम्हारा आता है जब रात ये आधी लगती है*
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
"" वार दूँ कुछ नेह तुम पर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
‘ विरोधरस ‘---4. ‘विरोध-रस’ के अन्य आलम्बन- +रमेशराज
दुर्लभ हुईं सात्विक विचारों की श्रृंखला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दो सीटें ऐसी होनी चाहिए, जहाँ से भाई-बहन दोनों निर्विरोध निर
राजनीतिक संघ और कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों के बीच सांठगांठ: शांति और संप्रभुता पर वैश्विक प्रभाव
चांद पर पहुंचे बधाई,ये बताओ तो।
माँ मुझे जवान कर तू बूढ़ी हो गयी....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं