जिसे हम हद से ज्यादा चाहते है या अहमियत देते है वहीं हमें फा
परिचर्चा (शिक्षक दिवस, 5 सितंबर पर विशेष)
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
पापा की तो बस यही परिभाषा हैं
बिखर गई INDIA की टीम बारी बारी ,
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी
के जिसको इश्क़ हो जाए भला कैसे वो सोएगा
यूं कीमतें भी चुकानी पड़ती है दोस्तों,
साहित्य का बुनियादी सरोकार +रमेशराज
वो ख्वाबों में आकर गमज़दा कर रहे हैं।
रक्षाबंधन एक बहन का एक भाई के प्रति सुरक्षा चक्र और विश्वास
हालात ही है जो चुप करा देते हैं लोगों को
Now we have to introspect how expensive it was to change the
तड़फ रहा दिल हिज्र में तेरे
कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए
देखिए रिश्ते जब ज़ब मजबूत होते है