बड़े लोगों का रहता, रिश्वतों से मेल का जीवन (मुक्तक)
जा तुम्हारी बेवफाई माफ करती हूँ।
क्या यही तुम्हारा प्यार प्रिये
दोस्ती की कीमत - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
" गप्प लिय मोदी सं आ टाका लिय बाइडन सं "
कैसे-कैसे दाँव छल ,रखे दिलों में पाल
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ना जाने ज़िंदगी में कई दाॅंव - पेंच होते हैं,
बौराया मन वाह में ,तनी हुई है देह ।