खुद से मुहब्बत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
"My friend was with me, my inseparable companion,
पुस्तक समीक्षा-सपनों का शहर
महामोदकारी छंद (क्रीड़ाचक्र छंद ) (18 वर्ण)
समाचार झूठे दिखाए गए हैं।
साधना तू कामना तू।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*चंदा दल को दीजिए, काला धन साभार (व्यंग्य कुंडलिया)*
प्रतीक्षा में गुजरते प्रत्येक क्षण में मर जाते हैं ना जाने क
आजकल कल मेरा दिल मेरे बस में नही
मुग़ल काल में सनातन संस्कृति,मिटाने का प्रयास हुआ
वो तमन्नाएं भी ज़िद पे उतर आईं हैं,
खुद के साथ ....खुशी से रहना......