2676.*पूर्णिका*
2676.*पूर्णिका*
उमड़ आया सैलाब देखो
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उमड़ आया सैलाब देखो।
आज दुनिया बेताब देखो।।
सोच बदले आगे बढ़े हम ।
जिंदगी रोज गुलाब देखो ।।
पाक दामन अपना यहाँ है ।
हाथ कितने तेजाब देखो ।।
जान कर भी नादान है सब ।
खूबसूरत न मसाब देखो।।
ये हवा बहती प्यार के खेदू।
लगन देती न हिसाब देखो।।
………✍डॉ .खेदू भारती “सत्येश”
03-11-23 शुक्रवार