यूं तेरे फोटो को होठों से चूम करके ही जी लिया करते है हम।
घर की गृहलक्ष्मी जो गृहणी होती है,
पते की बात - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
चलते-फिरते लिखी गई है,ग़ज़ल
अब फज़ा वादियों की बदनाम हो गई है ,
वो भी क्या दिन थे क्या रातें थीं।
जब साथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी
"फ़ुरक़त" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD