मेरे “शब्दों” को इतने ध्यान से मत पढ़ा करो दोस्तों, कुछ याद र
प्राकृतिक जब ठहर जाती है।
चिल्लाने के लिए ताकत की जरूरत नहीं पड़ती,
मीर की ग़ज़ल हूँ मैं, गालिब की हूँ बयार भी ,
जगे युवा-उर तब ही बदले दुश्चिंतनमयरूप ह्रास का
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
*अनगिन हुए देश में नेता, अलग मगर थे नेताजी (गीत)*
नेता जी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
सन्यासी का सच तप
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Sometimes even after finishing the chapter and bidding it a
जुगनू की छांव में इश्क़ का ख़ुमार होता है
मित्रो नमस्कार!
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
24/225. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
सुमिरन ,ध्यान ,योग, सरल जीवन शैली मनुष्य को सरलता का समर्थन
एहसासों को अपने अल्फ़ाज़ देना ,
लोग बंदर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)