सत्य क्या है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कौन्तय
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ - न हुआ
*पढ़-लिख तो बेटी गई किंतु, पढ़-लिख कर भी वह हारी है (राधेश्य
ये कलयुग है ,साहब यहां कसम खाने
अब घोसले से बाहर निकलने को कहते हो
किसे कुछ काम नहीं रहता है,
और वो एक कंपनी का “COO” हो गया.
"शायरा सँग होली"-हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
If We Are Out Of Any Connecting Language.
पाँच मिनट - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दिल ये इज़हार कहां करता है
खुल गया मैं आज सबके सामने
चार दिन गायब होकर देख लीजिए,
क्या से क्या हो गया देखते देखते।