उल्फत अय्यार होता है कभी कबार
तुमको अच्छा तो मुझको इतना बुरा बताते हैं,
*करिएगा सब प्रार्थना, हिंदीमय हो देश (कुंडलिया)*
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
पहले आसमाॅं में उड़ता था...
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
सावन
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
जो सिर्फ़ दिल की सुनते हैं
श्रेष्ठ विचार और उत्तम संस्कार ही आदर्श जीवन की चाबी हैं।।
सर्द और कोहरा भी सच कहता हैं
जैसे कि हर रास्तों पर परेशानियां होती हैं
जिंदगी को हमेशा एक फूल की तरह जीना चाहिए
स्वामी विवेकानंद ( कुंडलिया छंद)
अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम