क्यो लेट जाते हो बिछौने में दुखी मन से,
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ सब कहते हैं।
साहित्य सत्य और न्याय का मार्ग प्रशस्त करता है।
तेवरी : युग की माँग + हरिनारायण सिंह ‘हरि’
ग़म-ख़ुशी सब परख के चुप था वो- संदीप ठाकुर
जब लोग उन्हें मार नहीं पाते हैं
1.राज "अविरल रसराजसौरभम्"
बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें,
अपने दर्द को अपने रब से बोल दिया करो।
धीरे-धीरे सब ठीक नहीं सब ख़त्म हो जाएगा
MOUSE AND LION (LIMERICK)
*छपवाऍं पुस्तक स्वयं, खर्चा करिए आप (कुंडलिया )*
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण