गृहणी का बुद्ध
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
बंधन में रहेंगे तो संवर जायेंगे
बन के देखा है मैंने गुलाब का फूल,
दोहे बिषय-सनातन/सनातनी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कायनात की हर शय खूबसूरत है ,
ज़िंदगी से शिकायतें बंद कर दो
आज कई परेशानियों से घिरा हुआ इंसान।
मैने कभी बेहतर की तलाश नही की,
सत्य साधना -हायकु मुक्तक
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
ओ *बहने* मेरी तो हंसती रवे..
परिसर खेल का हो या दिल का,
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
बेशक ! बसंत आने की, खुशी मनाया जाए
*रखो हमेशा इस दुनिया से, चलने की तैयारी (गीत)*