क्या मिटायेंगे भला हमको वो मिटाने वाले .
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
ख़बर है आपकी ‘प्रीतम’ मुहब्बत है उसे तुमसे
बोट डालणा फरज निभाणा -अरविंद भारद्वाज
*होता है पिता हिमालय-सा, सागर की गहराई वाला (राधेश्यामी छंद)
रोज़ दरवाज़े खटखटाती है मेरी तन्हाइयां,
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कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
* कैसे अपना प्रेम बुहारें *
अब मत खोलना मेरी ज़िन्दगी
सारे दूर विषाद करें
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
इसी खिड़की से प्रतीक्षारत होकर निहारने की तरह ही
!! राम जीवित रहे !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
महिलाएं अक्सर हर पल अपने सौंदर्यता ,कपड़े एवम् अपने द्वारा क
मानव निर्मित रेखना, जैसे कंटक-बाड़।
आज कल सोशल मीडिया में सकारात्मक भंगिमा को स्वीकारते नहीं हैं