अपना यह गणतन्त्र दिवस, ऐसे हम मनायें
मूँछ पर दोहे (मूँछ-मुच्छड़ पुराण दोहावली )
ख़बर है आपकी ‘प्रीतम’ मुहब्बत है उसे तुमसे
मोहमाया के जंजाल में फंसकर रह गया है इंसान
सभी भगवान को प्यारे हो जाते हैं,
जो न कभी करते हैं क्रंदन, भले भोगते भोग
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
वक्त बड़ा बेरहम होता है साहब अपने साथ इंसान से जूड़ी हर यादो
*सोना-चॉंदी कह रहे, जो अक्षय भंडार (कुंडलिया)*
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
जाने क्यों तुमसे मिलकर भी
We all have our own unique paths,
आज मैंने खुद से मिलाया है खुदको !!
" मँगलमय नव-वर्ष-2024 "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
सब को जीनी पड़ेगी ये जिन्दगी
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
आज #कारगिल_विजय दिवस के मौक़े पर सरहद की हिफ़ाज़त के लिये शह
दिल मेरा तोड़कर रुलाते हो ।