*भैया घोड़ा बहन सवार (बाल कविता)*
मुझे गर्व है अलीगढ़ पर #रमेशराज
कल आंखों मे आशाओं का पानी लेकर सभी घर को लौटे है,
कोई बात नहीं, अभी भी है बुरे
घमंड करू भी तो किस बात का,
जिस इंसान में समझ थोड़ी कम होती है,
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Shankar lal Dwivedi and Gopal Das Neeraj together in a Kavi sammelan
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
पुरखों का घर - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*विभाजित जगत-जन! यह सत्य है।*
कोशिश बहुत करता हूं कि दर्द ना छलके