जहां आपका सही और सटीक मूल्यांकन न हो वहां पर आपको उपस्थित ह
फूल बन खुशबू बिखेरो तो कोई बात बने
अतीत कि आवाज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
किसी से प्यार, हमने भी किया था थोड़ा - थोड़ा
रससिद्धान्त मूलतः अर्थसिद्धान्त पर आधारित
छोड़कर जाने वाले क्या जाने,
मेरी जिंदगी भी तुम हो,मेरी बंदगी भी तुम हो
ढोल पीटते हो स्वांग रचाकर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
■ त्रिवेणी धाम : हरि और हर का मिलन स्थल
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
जब में थक जाता और थककर रुक जाना चाहता , तो मुझे उत्सुकता होत
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दग़ा तुमसे जब कोई, तेरा हमख़्वाब करेगा
🥗फीका 💦 त्योहार 💥 (नाट्य रूपांतरण)
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"