पुस्तक समीक्षा- राना लिधौरी गौरव ग्रंथ
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loving someone you don’t see everyday is not a bad thing. It
*हों पितर जहॉं भी सद्गति की, इच्छा हम आठों याम करें (राधेश्य
मैं गर्दिशे अय्याम देखता हूं।
खाने पीने का ध्यान नहीं _ फिर भी कहते बीमार हुए।
तुमको वो पा लेगा इतनी आसानी से
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ग़ज़ल _ मुहब्बत में मुहब्बत से ,मुहब्बत बात क्या करती,
मुस्कुराते हुए चेहरे से ,