जिसने सिखली अदा गम मे मुस्कुराने की.!!
अंत में कुछ नहीं बचता है..हम हँस नहीं पाते हैं
बह्र ....2122 2122 2122 212
सरस्वती वंदना । हे मैया ,शारदे माँ
ग़ज़ल -1222 1222 122 मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलुन
बहते पानी पे एक दरिया ने - संदीप ठाकुर
*फहराओ घर-घर भारत में, आज तिरंगा प्यारा (गीत)*
आँखें क्या कुछ नहीं कहती है,
“किरदार भले ही हो तकलीफशुदा ,
नयन प्रेम के बीज हैं,नयन प्रेम -विस्तार ।
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'