हसरतें पाल लो, चाहे जितनी, कोई बंदिश थोड़े है,
इंसान दुनिया जमाने से भले झूठ कहे
आजकल नहीं बोलता हूं शर्म के मारे
तुम - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मेरा दामन भी तार- तार रहा
शिक्षक सही गलत का अर्थ समझाते हैं
उम्रभर रोशनी दिया लेकिन,आज दीपक धुआं धुआं हूं मैं।
समझदारी शांति से झलकती हैं, और बेवकूफ़ी अशांति से !!
हिंदी दोहे विषय- मंगल
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
लड़कियों को हर इक चीज़ पसंद होती है,
एक इश्क में डूबी हुई लड़की कभी भी अपने आशिक दीवाने लड़के को
*चले आओ खुली बाँहें बुलाती हैँ*
*राखी का धागा एक बॅंधा, तो प्रिय पावन संबंध जुड़ा (राधेश्याम
खारे पानी ने भी प्यास मिटा दी है,मोहब्बत में मिला इतना गम ,
बात बहुत सटीक है। आजकल का प्रेम विफल होने का एक मुख्य कारण य