राम संस्कार हैं, राम संस्कृति हैं, राम सदाचार की प्रतिमूर्ति हैं...
देख रे भईया फेर बरसा ह आवत हे......
अपनी कमजोरियों में ही उलझे रहे
Safar : Classmates to Soulmates
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
*सरिता में दिख रही भॅंवर है, फॅंसी हुई ज्यों नैया है (हिंदी
इम्तहान दे कर थक गया , मैं इस जमाने को ,
पीड़ा किसको चाहिए कौन लखे दुख द्वेष ।
तू रहोगी मेरे घर में मेरे साथ हमें पता है,
पत्थर जैसे दिल से दिल लगाना पड़ता है,
नई शुरावत नई कहानियां बन जाएगी
पुरुष नहीं रोए शमशान में भी
कैसे बदला जायेगा वो माहौल
विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ा कर चले गए...
दोस्तों की महफिल में वो इस कदर खो गए ,
हमारे साथ खेलेंगे नहीं हारे वो गर हम से
ज़िन्दगी गुज़रने लगी है अब तो किश्तों पर साहब,