सच कहा था किसी ने की आँखें बहुत बड़ी छलिया होती हैं,
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
भँवर में जब कभी भी सामना मझदार का होना
आवारापन एक अमरबेल जैसा जब धीरे धीरे परिवार, समाज और देश रूपी
दोहे बिषय-सनातन/सनातनी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुझ पर इल्जाम लगा सकते हो .... तो लगा लो
काव्य की आत्मा और औचित्य +रमेशराज
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"सम्मान व संस्कार व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी अस्तित्व में र
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
भविष्य को देखने के लिए केवल दृष्टि नहीं गति भी चाहिए! अतीत क
ये जो तुम कुछ कहते नहीं कमाल करते हो