बह्र 2122 1122 1122 22 अरकान-फ़ाईलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन काफ़िया - अर रदीफ़ - की ख़ुशबू
ज़िन्दगी का मुश्किल सफ़र भी
एहसास कभी ख़त्म नही होते ,
तुम्हीं मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत हो।
हमेशा की नींद सुला दी गयी
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
- हम दोनो अनजान बन गए एक दूसरे की जान -
ग़ज़ल _ इस जहां में आप जैसा ।
सागर में मोती अंबर में तारा
ठहर कर देखता हूँ खुद को जब मैं
बस तेरे होने से ही मुझमें नूर है,
वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'