देख लूँ गौर से अपना ये शहर
मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
जब कभी प्यार की वकालत होगी
संसार में सबसे "सच्ची" वो दो औरतें हैं, जो टीव्ही पर ख़ुद क़ुब
लोककवि रामचरन गुप्त एक देशभक्त कवि - डॉ. रवीन्द्र भ्रमर
*ट्रस्टीशिप : सनातन वैराग्य दर्शन का कालजयी विचार*
Our ability to stay focused on the intellectual or creative
दुखों का भार
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
हमने ये शराब जब भी पी है,
ग़ज़ल _ मैं ग़ज़ल आपकी, क़ाफिया आप हैं ।