An eyeopening revolutionary poem )क्यूँ दी कुर्बानी?)
#प्रभात_वंदन (श्री चरण में)
किसी भी चीज़ की आशा में गँवा मत आज को देना
जब लोग उन्हें मार नहीं पाते हैं
सुरों का बेताज बादशाह और इंसानियत का पुजारी ,
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
जनाब, दोस्तों के भी पसंदों को समझो ! बेवजह लगातार एक ही विषय
जीवन अनंत की यात्रा है और अनंत में विलीन होना ही हमारी मंजिल
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मेरा दायित्व बड़ा है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मजाक दुनिया के कुछ भाएं कुछ न भाएँ हैं।
ये मौन है तेरा या दस्तक है तुफान से पहले का
बढ़ी हैं दूरियाँ दिल की भले हम पास बैठे हों।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
तेरी हँसी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद