जीवण तपतौ तावड़ौ, मां थ्हूं सीतळ धार।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
नज़र
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
एक दिवानी को हुआ, दीवाने से प्यार ।
नदी जिस में कभी तुमने तुम्हारे हाथ धोएं थे
जब भी तेरा दिल में ख्याल आता है
ईश्वर का आशीष है बेटी, मानवता को वरदान है।
হরির গান (হরিকে নিয়ে লেখা গান)
मिलती नहीं खुशी अब ज़माने पहले जैसे कहीं भी,
*तुम और मै धूप - छाँव जैसे*
हल्के किरदार अक्सर घाव गहरे दे जाते हैं।
अंग प्रदर्शन करने वाले जितने भी कलाकार है उनके चरित्र का अस्
आप और हम जीवन के सच....…...एक कल्पना विचार
#हँसती है ज़िंदगी तो ज़िन्दा हैं
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
सरस्वती बुआ जी की याद में