2636.पूर्णिका
2636.पूर्णिका
🌷जान कर अनजान रहते🌷
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जान कर अनजान रहते।
यूं सनम नादान रहते।।
समझते अपनी जिंदगी ।
अलग ही पहचान रहते ।।
दी तुम्हें इतनी अहमियत ।
हम जहाँ कुरबान रहते।।
यूं बहे बनकर अश्क यहाँ ।
कसम से अरमान रहते ।।
बेवफा खेदू है नहीं ।
शान एक जुबान रहते।।
………✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
26-10-2023गुरुवार