बचपन और गांव
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*आज छपा जो समाचार वह, कल बासी हो जाता है (हिंदी गजल)*
अजब है इश्क़ मेरा वो मेरी दुनिया की सरदार है
यक़ीनन एक ना इक दिन सभी सच बात बोलेंगे
उदास देख कर मुझको उदास रहने लगे।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
शरीफों में शराफ़त भी दिखाई हमने,
आपका समाज जितना ज्यादा होगा!
पिता और पुत्र
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
मेरे नन्हें-नन्हें पग है,
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला