*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
नयी कोई बात कहनी है नया कोई रंग भरना है !
आंसू तुम्हे सुखाने होंगे।
चलते हैं क्या - कुछ सोचकर...
कहां बैठे कोई , संग तेरे यूं दरिया निहार कर,
दुख के दो अर्थ हो सकते हैं
*परियों से भी प्यारी बेटी*
हो तुम किस ख्यालों में डूबे।
मल्हारी गीत "बरसी बदरी मेघा गरजे खुश हो गये किसान।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
मैं सोचता हूँ कि आखिर कौन हूँ मैं