बातों में बनावट तो कही आचरण में मिलावट है
मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
रामधारी सिंह दिवाकर की कहानी 'गाँठ' का मंचन
**कब से बंद पड़ी है गली दुकान की**
अष्टम् तिथि को प्रगटे, अष्टम् हरि अवतार।
पहले जब तु पास् होती थी , तब दिल तुझे खोने से रोता था।
धर्म अधर्म की बाते करते, पूरी मनवता को सतायेगा
■ "अ" से "ज्ञ" के बीच सिमटी है दुनिया की प्रत्येक भाषा। 😊
कितना अजीब ये किशोरावस्था
गणपति वंदना (कैसे तेरा करूँ विसर्जन)
*रामराज्य आदर्श हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम है (गीत)*
हे परमपिता मिले हमसफ़र जो हर इक सफ़र में भी साथ दे।
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
प्यार का उपहार तुमको मिल गया है।
जुगनूओं से कह दो, रात बड़ी बामशक्कत गुजरेगी,