मैं इस दुनिया का सबसे बुरा और मुर्ख आदमी हूँ
यही रात अंतिम यही रात भारी।
हुनर है झुकने का जिसमें दरक नहीं पाता
अब जी हुजूरी हम करते नहीं
पत्नी से अधिक पुरुष के चरित्र का ज्ञान
*जीवन सिखाता है लेकिन चुनौतियां पहले*
गर्मी से है बेचैन,जरा चैन लाइये।
गर्म हवाएं चल रही, सूरज उगले आग।।
दिल के किसी कोने में अधुरी ख्वाइशों का जमघट हैं ।
यह शोर, यह घनघोर नाद ना रुकेगा,
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।