माँ मैथिली आओर विश्वक प्राण मैथिली --- रामइकबाल सिंह 'राकेश'
मेरे पलों को भी संवारा करो,
सफलता का महत्व समझाने को असफलता छलती।
*संभल में सबको पता, लिखा कल्कि अवतार (कुंडलिया)*
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
।। लक्ष्य ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अंतस किवाड़ ऊगडै, गुरु मुख सुणया ग्यांन।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
डॉ अरुण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक
कभी पास बैठो तो सुनावो दिल का हाल
जो हमारा है वो प्यारा है।
शहर में बिखरी है सनसनी सी ,