मन हमेशा एक यात्रा में रहा
किसी को गुणवान संक्सकर नही चाहिए रिश्ते में अब रिश्ते
प्यार करें भी तो किससे, हर जज़्बात में खलइश है।
*रामपुर में सर्वप्रथम गणतंत्र दिवस समारोह के प्रत्यक्षदर्शी श्री रामनाथ टंडन*
आस्था स्वयं के विनाश का कारण होती है
यूं सियासत ज़रा सी होश-ओ-हवास में करना,
ऐसे रूठे हमसे कि कभी फिर मुड़कर भी नहीं देखा,
काहे से की लवंडा बीबी पाया वर्जिन है। मोदी जी वाह क्या सीन है।
इस सियासत की अगर मुझको अक्ल आ जाए
आनंद और शांति केवल वर्तमान में ही संभव है, दुःख केवल अतीत मे
कभी अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर ,
सजी कैसी अवध नगरी, सुसंगत दीप पाँतें हैं।
करना था यदि ऐसा तुम्हें मेरे संग में