भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
पुस्तक तो पुस्तक रहा, पाठक हुए महान।
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा "वास्तविकता रूह को सुकून देती है"
जीवन चलचित्र के किरदार कई सारे,
चाय सी महक आती है तेरी खट्टी मीठी बातों से,
दिल से कह देना कभी किसी और की
दिल में दबे कुछ एहसास है....
ज़िंदगी की जंग जीतनी हो....
पीने -पिलाने की आदत तो डालो
तुम जिंदा हो इसका प्रमाड़ दर्द है l
*डॉ अर्चना गुप्ता जी* , मुरादाबाद(कुंडलिया)*
मैं कौन हूँ कैसा हूँ तहकीकात ना कर
निर्मल निर्मला
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दुनियां कहे , कहे कहने दो !