2615.पूर्णिका
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2615.पूर्णिका
🌷 यूं सारी बात समझती हो 🌷
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यूं सारी बात समझती हो ।
हरदम क्यों तुम बनती हो ।।
मैं तुझमें हूँ तू मुझमें बस ।
धड़कन में रोज धड़कती हो ।।
पाकर अपनी प्यारी दुनिया ।
बन पंछी सजन फुदकती हो ।।
खुशियों की ओढ़े चुनरी तुम ।
बनके नव फूल महकती हो ।।
चाहत है खेदू से सच में ।
मन ही मन सनम मचलती हो ।।
…….✍डॉ .खेदू भारती”सत्येश”
15-10-2023रविवार