यह कलियुग है यहां हम जो भी करते हैं
मौर ढलल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
पहली बारिश
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
तुम आये हो तो बहारों ने मुझे घेर लिया ,
मै पा लेता तुझे जो मेरी किस्मत करब ना होती|
बदले की चाह और इतिहास की आह बहुत ही खतरनाक होती है। यह दोनों
जब तक बांकी मेरे हृदय की एक भी सांस है।
वक्त सबको मिलता है अपना जीवन बदलने के लिए
*झूठी सब शान दिखाते हैं, यह बहुत बड़ी मायावी है (राधेश्यामी
गीत - इस विरह की वेदना का
ये ज़िंदगी डराती है, डरते नहीं हैं...
*** सफलता की चाह में......! ***
इन तूफानों का डर हमको कुछ भी नहीं
जिस की दुराग्रही खोपड़ी में बदले की विष-बेल लहलहा रही हो, वहा