"बूढ़े होने पर त्याग दिये जाते हैं ll
उसकी गलियों में आज मुस्कुराना भारी पड़ा।
*दो दिन सबके राज-रियासत, दो दिन के रजवाड़े (हिंदी गजल)*
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रमेशराज की ‘ गोदान ‘ के पात्रों विषयक मुक्तछंद कविताएँ
इश्क़ गुलाबों की महक है, कसौटियों की दांव है,
लड़की कभी एक लड़के से सच्चा प्यार नही कर सकती अल्फाज नही ये
सागर तो बस प्यास में, पी गया सब तूफान।
जीवन में जागरूकता कैसे लाएँ। - रविकेश झा
लड़कियों के प्रति आकर्षण प्राकृतिक और स्वाभाविक होता है जिसम
जिंदगी से कुछ यू निराश हो जाते हैं
एक एक ईट जोड़कर मजदूर घर बनाता है