*जीवन में हँसते-हँसते चले गए*
" मुझे नहीं पता क्या कहूं "
जो तेरे दिल पर लिखा है एक पल में बता सकती हूं ।
भारत मां की लाज रखो तुम देश के सर का ताज बनो
"" वार दूँ कुछ नेह तुम पर "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
अबके रंग लगाना है
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
आईना हो सामने फिर चेहरा छुपाऊं कैसे,
सदा सुखी रहें भैया मेरे, यही कामना करती हूं
ये बिल्कुल मेरी मां जैसी ही है
सबसे आसान है बहाने बनाकर खुद को समझाना। अपनी गलतियों पर खुद
"परिश्रम: सोपानतुल्यं भवति