*प्रकृति के हम हैं मित्र*
ज्ञान-दीपक
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
यदि आप जीत और हार के बीच संतुलन बना लिए फिर आप इस पृथ्वी पर
हँसते हैं, पर दिखाते नहीं हम,
अब तो ख्वाबों में आना छोड़ दो
बहुत मुश्किल होता हैं, प्रिमिकासे हम एक दोस्त बनकर राहते हैं
हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता
जाने क्या-क्या कह गई, उनकी झुकी निग़ाह।
मुझसे जो भी होता है वो मैं करता हूॅं!
'अस्त्तित्व मेरा हिन्दुस्तानी है'
"राजनीति में आत्मविश्वास के साथ कही गई हर बात पत्थर पर लकीर
*सस्ती सबसे चाय है, गरम समोसा साथ (कुंडलिया)*
अयोध्या धाम तुम्हारा तुमको पुकारे
रंग बिरंगी दुनिया होती हैं।
नित नित पेड़ लगाता चल
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi