यादों के तटबंध ( समीक्षा)
बनी दुलहन अवध नगरी, सियावर राम आए हैं।
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -188 से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
******** प्रेरणा-गीत *******
हम गुलामी मेरे रसूल की उम्र भर करेंगे।
बॉलीवुड का क्रैज़ी कमबैक रहा है यह साल - आलेख
आंखों की गहराई को समझ नहीं सकते,
बहुत ही खूब सूरत वो , घर्रौंदे याद आते है !
क़िस्मत का सौदा करने चली थी वो,
ये ढलती शाम है जो, रुमानी और होगी।
आंखे मोहब्बत की पहली संकेत देती है जबकि मुस्कुराहट दूसरी और
ज़िंदगी चाँद सा नहीं करना
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: ओं स्वर रदीफ़ - में