आप हर पल हर किसी के लिए अच्छा सोचे , उनके अच्छे के लिए सोचे
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
किससे कहे दिल की बात को हम
कितनी गौर से देखा करते थे जिस चेहरे को,
कसीदे नित नए गढ़ते सियासी लोग देखो तो ।
कई वर्षों से ठीक से होली अब तक खेला नहीं हूं मैं /लवकुश यादव "अज़ल"
गवाही देंगे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
दौड़ते ही जा रहे सब हर तरफ
*चिड़िया और साइकिल (बाल कविता)*
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
आज़ादी की जंग में कूदी नारीशक्ति
अंजाना सा साथ (लघु रचना ) ....
किसी एक के पीछे भागना यूं मुनासिब नहीं