क्या पता मैं शून्य न हो जाऊं
शीर्षक: लाल बहादुर शास्त्री
अगर हो अंदर हौसला तो पूरा हर एक काम होता है।
जो कर्म किए तूने उनसे घबराया है।
अपने जीवन में सभी सुधार कर सकते ।
मुक्तक-विन्यास में एक तेवरी
मुझे दर्द सहने की आदत हुई है।
मिथकीय/काल्पनिक/गप कथाओं में अक्सर तर्क की रक्षा नहीं हो पात
परिवार, घड़ी की सूइयों जैसा होना चाहिए कोई छोटा हो, कोई बड़ा
महालय।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
पुरुष चाहे जितनी बेहतरीन पोस्ट कर दे
*दिल के रोग की दवा क्या है*
*आया पतझड़ तो मत मानो, यह पेड़ समूचा चला गया (राधेश्यामी छंद