मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ की 313वीं कवि गोष्ठी रिपोर्ट
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जो दिल में उभरती है उसे, हम कागजों में उतार देते हैं !
ज्ञानवान दुर्जन लगे, करो न सङ्ग निवास।
हसरतें पाल लो, चाहे जितनी, कोई बंदिश थोड़े है,
अतीत के “टाइम मशीन” में बैठ
आज मानवता मृत्यु पथ पर जा रही है।
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बढ़ी हैं दूरियां दिल की भले हम पास बैठे हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
यूं नए रिश्तें भी बुरी तरह बोझ बन जाते हैं,
"व्यक्ति जब अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों के स्रोत को जान लेता
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
गर तुम हो
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
हम यह सोच रहे हैं, मोहब्बत किससे यहाँ हम करें
हुआ उजाला धरती अम्बर, नया मसीहा आया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अदब से उतारा होगा रब ने ख्बाव को मेरा,