*सदियों बाद पधारे हैं प्रभु, जन्मभूमि हर्षाई है (हिंदी गजल)*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
चला आया घुमड़ सावन, नहीं आए मगर साजन।
मतदान से, हर संकट जायेगा;
बस इतनी सी अभिलाषा मेरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ सब कहते हैं।
जीवन की आपाधापी में देखता हूॅं ,
"रिश्तों में खटास पड रही है ll
आज मंगलवार, 05 दिसम्बर 2023 मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी
इंसान की भूख कामनाएं बढ़ाती है।
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
मल्हारी गीत "बरसी बदरी मेघा गरजे खुश हो गये किसान।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
फूल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
आजकल सबसे जल्दी कोई चीज टूटती है!
कौन कहता है कि लहजा कुछ नहीं होता...