डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
कीमत क्या है पैमाना बता रहा है,
जीत हमेशा सत्य और न्याय की होती है, भीड़ की नहीं
की है निगाहे - नाज़ ने दिल पे हया की चोट
ख़ुदा करे ये क़यामत के दिन भी बड़े देर से गुजारे जाएं,
जीवन को सुखद बनाने की कामना मत करो
ग़ज़ल:- रोशनी देता है सूरज को शरारा करके...
हैं सितारे डरे-डरे फिर से - संदीप ठाकुर
ग़म बहुत है दिल में मगर खुलासा नहीं होने देता हूंI
जनता का पैसा खा रहा मंहगाई
कैसा कोलाहल यह जारी है....?
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ