जो मन से ही बेहद कमजोर होगा,
जिंदगी मैं हूं, मुझ पर यकीं मत करो
“मैं ठहरा हिन्दी माध्यम सा सरल ,
ना मुझे मुक़द्दर पर था भरोसा, ना ही तक़दीर पे विश्वास।
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता
*मिलती है नवनिधि कभी, मिलती रोटी-दाल (कुंडलिया)*
Khwahish jo bhi ho ak din
हर एक अवसर से मंजर निकाल लेता है...
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
प्रेम का प्रदर्शन, प्रेम का अपमान है...!
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।