तुम बनते चालाक क्यों,धोखा है संसार ।
इतने अच्छे मौसम में भी है कोई नाराज़,
"आशा" के दोहे '
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मेरी खूबसूरती बदन के ऊपर नहीं,
" वाई फाई में बसी सबकी जान "
जीवन के उपन्यास के कलाकार हैं ईश्वर
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अपने देश की अलग एक पहचान है,
“तुम हो जो इतनी जिक्र करते हो ,
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
* श्री ज्ञानदायिनी स्तुति *