हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
निकल पड़े है एक बार फिर नये सफर पर,
Don’t worry, the right one won’t leave.
ग़ज़ल : कौन आया है ये मेरे आशियाने में
अनोखे संसार की रचना का ताना बाना बुनने की परिक्रिया होने लगी
यूं तो मेरे जीवन में हंसी रंग बहुत हैं
जब तक हम अपने भीतर नहीं खोजते हम अधूरे हैं और पूर्ण नहीं बन
हमसे ये ना पूछो कितनो से दिल लगाया है,
चेहरा सब कुछ बयां नहीं कर पाता है,
- भाईयो के हाथो में कुछ भी नही भाभीया है सरताज -
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ