*पाया-खोया चल रहा, जीवन का यह चक्र (कुंडलिया)*
श्रद्धा तर्क, तर्कबुद्धि तथा ईश्वर (Faith, Logic, Reason and
बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है…!
गर्दिश -ए - वक़्त ने बदल डाला ,
शिक्षा
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के विरोधरस के गीत
दोहे -लालची
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मर्यादाएँ टूटतीं, भाषा भी अश्लील।
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: ओं स्वर रदीफ़ - में
#हिरदेपीर भीनी-भीनी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
शहर को मेरे अब शर्म सी आने लगी है
ऋतुओं का राजा आया
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम