जितना मिला है उतने में ही खुश रहो मेरे दोस्त
जो गुजर रही हैं दिल पर मेरे उसे जुबान पर ला कर क्या करू
ग़ज़ल _ खुशी में खुश भी रहो ,और कामना भी करो।
इन आँखों में इतनी सी नमी रह गई।
*तन पर करिएगा नहीं, थोड़ा भी अभिमान( नौ दोहे )*
ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
गणेश चतुर्थी के शुभ पावन अवसर पर सभी को हार्दिक मंगल कामनाओं के साथ...
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
हम सभी केवल अपने लिए जीते और सोचते हैं।
** चिट्ठी आज न लिखता कोई **
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
हर मौसम का अपना अलग तजुर्बा है
रात बसर कर ली रात रंगीन गुजरने की आस में,