*संस्कार*
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
Life through the window during lockdown
तुझे जब फुर्सत मिले तब ही याद करों
प्यासा के कुंडलियां (विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा')
मेरी मजबूरी को बेवफाई का नाम न दे,
विषय : बाढ़
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
उजाले अपनी आंखों में इस क़दर महफूज़ रखना,
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
दुःख बांटने से दुःख ही मिलता है
*तू और मै धूप - छाँव जैसे*
वो गलियाँ मंदर मुझे याद है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दुखा कर दिल नहीं भरना कभी खलिहान तुम अपना
इक ग़ज़ल जैसा गुनगुनाते हैं
*"राम नाम रूपी नवरत्न माला स्तुति"